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Saturday, January 8, 2022

अँधेरा कहा!? चारो तरफ रौशनी!!

 

दयाल! मुझे बचाओ! बचाओ दयाल!

दया करो मुझे!

तुम कहा हो दयाल? तुम कहा हो?

चारो तरफ आंधेरा ही आंधेरा!

रोशनी की थोड़ा सा वि झोलोक नहीं है!

आंधेरा की गलीमे कहा कहा

फास जाता हु, वूल की वुल्वुलैया में

घिसटते घिसटते एक अंगुली ज्यायसा

गली में अटक जाता हु, फास जाता हु दयाल!

है गली में रोशनी, है हवा!

है सामने, पीछे है कोई रास्ता!

खली चारो तरफ वय की माहौल!

म्रृत्यु की छबि!

देशवर खली हिंसा का होली और होली!

और नेताओ का बोली और बोली!

मई सो नहीं पता हु, जग नहीं पता!

तुम कहा हो दयाल? तुम कहा हो!

दयाल! बचाओ मुझे!

मई तुम्हे वुलकर कवि अन्धेरामे

नहीं और वटकुंगा! नहीं रहुंगा दयाल!

नहीं रहूँगा!

दयाल बोले, कहा आंधेरा बीटा!?

चारो तरफ रोशनी ही रोशनी!

तू बीटा रोशनीसे दूर किउ है?

वूल का वुल्वुलैया में किउ है?

रोशनीके सामने !

सच का सामना कर!

रोशनीसे मु फिरके अन्धेराके तरफ

देख रहे हो और डर से चिल्ला रहे हो

अँधेरा! अँधेरा!! अँधेरा!!!

वूल की वुल्वुलैया की घुलघुली में

डूबा रहा हो और बोल रहा हो की

सब वूल! वूल!! वूल!!!

तेरा सामने रौशनी, पीछे रौशनी,

दांये बांये सब जगह में रौशनी!

चारो तोरोफ रौशनी ही रौशनी!

तुम रौशनी को पीठ मोत दिखाओ,

उहो अँधेरा तुम्हारा ही अँधेरा!

तुम्हारा निजी शरीर का अँधेरा!

अँधेरा बोलके कुछ नहीं है!

तुम्हारा आँख दिखाई नहीं दे रहा है रोशनिको!

पीला हो गया तुम्हारा आँख.

मुहु घुमाओ बीटा और मुझे देख!

सच और झूट का अन्तर क्या है

शिख क्या है असली और वेख!

डर किस बात की!? मई तो सामने ही हु!

तू मुझे देख नहीं प् रहा है,

मुझे अनुवब कर नहीं प् रहा है,

इहे समस्या तुम्हारा ही है!

मई तुम्हारा ही सामने हु!

हाँ! सामने हु. चिंता मत कर!

मई सब देख रहा हु!

शैतान का हाथ छोर,

बृत्ति-प्रबृत्ति का साथ छोर,

बेईमानी, नमकहरामी छोर,

मेरा हाथ पाकर और बिश्वास के साथ बोल,

शिर ऊँचा करके बोल,

सीना टान टान कर बोल,

गले चिर चिर कर बोल,

आसमान को फार फार कर बोल

एकबार, मात्र एकबार बोल,

बिश्वास के साथ बोल,

अपने आप को पूरा समर्पित करते हुए बोल,

पूरा निर्वर कर और बोल,

हे परमपिता! तुम छोडकर और कवि

मई अन्धेरामे नहीं वोटकूँगा, नहीं जाऊंगा!

तुम्हे बिना जंहा जाओ, जिसके पास जाओ

ओहि स्थान वूल! ओहि मे अँधेरा!

ओहि आदमी वूल! वूल!! वूल!!!

एक और अद्वितीय हे परमपिता!

तुम्ही सत्य! तुम्ही ठीक!! तुम्ही रौशनी!!!

तुम्ही सम्पूर्णो!!!! तुम्ही स्रर्बोंग्गो!!!!!

तुमसे ही शुरू, तुमसे ही शेष!

जा बीटा! मेरा हाथ पाकर

और चल सही दिशा में

जंहा रौशनी है! आनंद है!

आनंद का माहौल है!

मजा है! बिंदास फुर्ती है!

बिश्वास कर मुझे और मेरा हाथ पाकर

और जो मई बोलू ओहि कर,

निसंकोच हो कर कर,

बिश्वास के साथ कर,

मई ले जाऊंगा उस धाम में

जंहा मनुष्यो अमर हो जाता है.

------प्रोबी.

 

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