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Friday, January 12, 2024

কবিতা कविता / दया! (१)

दया करो मेरे बाप! अरे दयाल!
अगे अंधेरा घनोघोर अंधेरा!
और मै अकेला चला अगे बेखेयाल.
पीछे भयाल भय! नेही है कोई सहारा!
दया करो दयाल! मेरा बाप!
मेरा जिबन की ध्रुबतारा!------प्रबी

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